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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 17 
हीरेन दा की बातों का असर सब पर हो रहा था । जज साहब ने हीरेन दा के समस्त दस्तावेज सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी को दिखाते हुए उनसे पूछा "क्या अब भी आपको मिस्टर हीरेन दा की पैरवी से कोई समस्या है" ? 

हीरेन दा के द्वारा समस्त दस्तावेज दिखाने के बाद अब त्रिपाठी के पास ऑब्जेक्शन करने का कोई बिन्दु रह नहीं गया था इसलिए वह बोला "नो योर ऑनर । वी कैन प्रोसीड" । जज साहब ने सरकारी वकील को बहस आरंभ करने की अनुमति दे दी । 

सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी ने बहस प्रारंभ की । 
"योर ऑनर ! यह केस है प्यार में धोखे का । इस देश में सीता और सावित्री जैसी महापतिव्रता नारियां पैदा हुई हैं जिन्होंने नारी जाति का नाम जगत में अमर कर दिया है । नारी का तो नाम ही त्याग और ममता है । वह अपने परिवार पर सब कुछ लुटा देती है । यहां तक कि अपना सुख , चैन , अपनी भूख, प्यास सब कुछ भूल कर वह परिवार के लिए बलिदान हो जाती है । लेकिन कटघरे में खड़ी इस जैसी मासूम सी दिखने वाली स्त्री जब किसी पराए मर्द के साथ नाजायज संबंध बनाती है तो वह लोक लाज , मान सम्मान, मर्यादा, रीति रिवाज, परंपराऐं सबको ताक पर रख देती है । वह यह भूल जाती है कि उसने किसी के साथ पाणिग्रहण संस्कार किया था और अपने पति से जीवन भर वफादार रहने की कसमें खाई थी , वादे किए थे, वचन भरवाये गये थे । लेकिन वे वादे , वचन , कसम सब एक पल में टूट जाते हैं जब एक पत्नी के कदम बहकने लगते हैं । जब एक बार कदम बहक जाते हैं तो फिर वे पतन के मार्ग पर चलने लग जाते हैं । इस पतन का कोई ओर छोर नहीं होता है । चारों ओर गहरी खाई ही नजर आती है । यह एक ऐसा दलदल है जिसमें से निकलना असंभव ही है । निकलने की जितनी भी कोशिश कोई भी व्यक्ति करता है , वह दलदल में उतना ही अधिक धंसता चला जाता है । आज भारत में सीता सावित्री जैसी स्त्रियां नहीं होती हैं । आजकल तो अनुपमा जैसी स्त्रियां होती हैं जो न केवल अपने परिवार को धोखा देती हैं बल्कि समाज को भी धोखा दे रही हैं । 

योन ऑनर , मैं इस केस में आगे कहना चाहता हूं कि अनुपमा और सक्षम की वैवाहिक स्थिति बड़ी मजे से चल रही थी । दोनों एक दूसरे से जी भरकर प्यार करते थे । दोनों में से किसी को कोई शिकायत नहीं थी । दिन बड़ी ही मस्ती के साथ गुजर रहे थे दोनों के । कब दिन होता और कब रात हो जाती , पता ही नहीं चलता था । सक्षम अपने जॉब में व्यस्त रहता और अनुपमा ने घर की जिम्मेदारियां संभाल रखी थीं । खाली समय में वह अपने स्वयंसेवी संगठन "उन्नयन" के लिए काम करती थी । 

इस स्थिति में मोड़ तब आता है जब अक्षत की ऐण्ट्री घर में होती है । अक्षत सक्षम के अजीज दोस्त शुभम का छोटा भाई है । उसकी जॉब नोएडा में लगी तो शुभम ने सक्षम से उसकी मदद करने को कहा । सक्षम ने उसे अपने घर में किरायेदार के रूप में रख लिया । अब उस परिवार में आदमी दो हो गये थे और एक औरत रह गई  थी । अक्षत वीक में दो दिन ऑफिस जाता था और बाकी के दिन "वर्क फ्रॉम होम" करता था जबकि सक्षम को रोजाना ऑफिस जाना ही पड़ता था । इस प्रकार सप्ताह में पांच दिन अक्षत घर पर ही रहता था । 

अनुपमा यद्यपि 30 वर्ष की महिला है किन्तु वह अभी भी 24-25 साल की ही लगती है । ईश्वर ने उस पर मेहरबानियों की जिस तरह बारिश की है उससे लगता है कि ईश्वर भी अनुपमा को बनाकर बहुत प्रसन्न हुए होंगे और उसे हुस्न की देवी के रूप में धरती पर भेज दिया । उसके सौन्दर्य के सम्मुख रति का सौन्दर्य भी फीका पड़ जाता है । अनुपमा के अंग अंग से सौन्दर्य की धारा प्रवाहित होती है ।अगर आज के जमाने में रानी पद्मिनी जिंदा होती तो वह अनुपमा के सौन्दर्य के सामने कांतिहीन नजर आती और वह अनुपमा से ईर्ष्या कर करके ही मर जाती । 

जब ऐसी सौन्दर्यवती स्त्री घर में हो और वह अक्षत पर विशेष अनुग्रह भी रखती हो तो फिर अक्षत का रुख उसकी ओर क्यों नहीं होगा ? जिस तरह गंगा और जमना का संगम होना अवश्यंभावी है उसी तरह हुस्न और जवानी का संगम होना भी अवश्यंभावी है । दोनों अधिक दिनों तक दूर नहीं रह सकते हैं । 

अनुपमा रोज नहाने के बाद अपने गीले वस्त्र सुखाने ऊपर छत पर जाती और तार पर कपड़े सुखाने लगती । तब अक्षत का सारा ध्यान अनुपमा पर ही होता था । वह उसके गदराये मांसल जिस्म को अपलक देखता रहता था । वह दिन में अनुपमा के खयालों में खोया रहता था और रात में उसके सपनों में । कभी कभी जब उसका बदन अनुपमा के बदन से छू जाता था तो उसके सारे शरीर में कंपन होने लगता था । अनुपमा के बदन से आने वाली सुगंध में वह अपने होश ओ हवास खो देता था । उसके दिल दिमाग में अनुपमा ही बसी रहती थी । 

अक्षत को पेन्टिंग्स बनाने का बड़ा शौक था । सर्दियों के दिन थे जब एक दिन वह छत पर बैठा हुआ कोई पेन्टिंग बना रहा था । उसी समय अनुपमा ऊपर छत पर अपने कपड़ों को सुखाने के लिए आई । उसकी नजर पेन्टिंग्स बनाते हुए अक्षत पर पड़ी तो कौतुहलवश वह भी उसे देखने लगी । अक्षत एक बहुत ही दक्ष पेन्टर है । उसके हाथ में जैसे जादू है । उसकी पेन्टिंग ने अनुपमा के दिल में जगह बना ली थी । उसके मन में इच्छा पैदा हुई कि अक्षत एक दिन उसकी पेन्टिंग बनाकर उसे गिफ्ट कर दे । अक्षत अनुपमा के भाव ताड़ गया और उसने बिना देर किए अनुपमा की एक बहुत ही खूबसूरत पेन्टिंग बना दी । उस पेन्टिंग को देखकर अनुपमा बहुत खुश हुई । उसने जोश जोश में अक्षत को चूम लिया । अक्षत अनुपमा के इस व्यवहार से हतप्रभ रह गया और वह अनुपमा को देखता ही रह गया । 
"ऐसे क्या देख रहे हो" ? अनुपमा की आंखों से शराब टपक रही थी । अक्षत उस शराब में नहाने लगा । वह इस प्रश्न से शरमा गया । उसने अपनी गर्दन हिलाकर कहा 
"कुछ नहीं भाभी" । 
"अच्छा ! कुछ नहीं देख रहे थे ? आज पता चला कि तुम झूठ भी बोल लेते हो" ? अनुपमा खिलखिला कर बोली थी । अनुपमा का इस तरह बेतकल्लुफ वाला व्यवहार अक्षत को बहुत पसंद आया और वह भी मुस्कुराने लगा । 
"अब बता भी दो कि क्या देख रहे थे" ? अनुपमा ने अक्षत का हाथ थामकर कहा 

अनुपमा ने जब अक्षत का हाथ थामा तो अक्षत के दिल में एक साथ सैकड़ों तूफान उमड़ने लगे । उसे अनुपमा का साथ अच्छा लग रहा था । उसका मुस्कुराकर बातें करना अच्छा लग रहा था । उसका उसे चोरी चोरी देखना अच्छा लग रहा था । और सबसे बड़ी बात , उसका उसे चूमना रोमांचित कर गया था । वह कुछ कह नहीं पा रहा था । 
"अरे, तुम तो लड़कियों की तरह शरमा रहे हो ? इतना तो आजकल लड़कियां भी नहीं शर्माती हैं । बताओ ना , क्या देख रहे थे" ? अनुपमा अक्षत के पीछे ही पड़ गई थी । 
"आपको देख रहा था भाभी" अक्षत ने कहा 
"धत्त ! मुझे क्यों देख रहे थे" ? अनुपमा मन ही मन खुश होकर बोली 
"आप कितनी हसीन हैं । आपकी आंखें, आपके बाल , आपके गाल , आपके होंठ सब कुछ कितने सुंदर हैं । मन करता है कि बस आपको देखता ही रहूं हरदम । और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आपका ..." कहता कहता रुक गया था अक्षत । 

अक्षत को रुकते देखकर अनुपमा बेचैन हो गई । 
"रुक क्यों गये ? आगे बोलिए ना" ? अनुपमा अक्षत की आंखों में झांककर बोली 
"आगे कह नहीं पाऊंगा भाभी" । अक्षत ने संकोच से गर्दन नीचे कर ली 
"अरे, ऐसी बात है ? फिर तो हम जरूर सुनना चाहेंगे । बताइए ना कि आपका क्या" ? वह उछलते हुए बोली 
"मेरी बात से आप नाराज तो नहीं होंगी ना" ? अक्षत पहले आश्वस्त होना चाहता था फिर अपनी बात कहना चाहता था 
"मुझ पर भरोसा नहीं है" ? 
"वो बात ऐसी है भाभी कि आज से पहले मैंने कभी किसी से ऐसी बातें नहीं की हैं ना । तो थोड़ा सा डर लग रहा है" । उसने झिझकते हुए अपनी बात कह दी । 
"इतना झिझकने की क्या बात है ? बेहिचक होकर कहो । अपनी भाभी से क्या शरमाना" ? अनुपमा ने उसे हरी झंडी दे दी थी । 
अक्षत को अनुपमा के प्रोत्साहन से और बल मिला और वह कहने लगा 
"आपका फिगर बहुत लाजवाब है भाभी"  अक्षत अब अनुपमा की आंखों में आंखें डालकर बोला 
"धत्त, शैतान कहीं के ? अपनी भाभी से ऐसे बोलते हैं क्या" ? अनुपमा ने उसे उलाहना देते हुए कहा 
"मैंने तो आपसे पहले ही कह दिया था भाभी कि ऐसी बात मैंने किसी से पहले कभी नहीं की हैं । जब आपने मुझे कहने के लिए फोर्स किया तभी कहने की हिम्मत कर पाया हूं मैं" । अक्षत डरते हुए बोला । 
"अरे तो इसमें इतना डरने की क्या बात है ? भाभी हूं तुम्हारी , इतनी छेड़खानी करने का तो हक बनता है तुम्हारा" । और फिर अनुपमा उस दिन इतना कहकर नीचे चली गई । उसके मन में कुछ कुछ होने लगा था । 

अनुपमा तो नीचे चली गई लेकिन अक्षत तो वहीं पर जड़वत रह गया था । उसकी आंखों के सामने से अनुपमा की तस्वीर हटने का नाम ही नहीं ले रही थी । उसकी नाक में अनुपमा के बदन की सुगंध बसी हुई थी और दिल दिमाग में उसका अनुपम फिगर बसा हुआ था । उसे लगा कि आज से बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया है । लगता है कि शीघ्र ही अपनी बात बन जाएगी । अक्षत खुश होता हुआ अपना काम करने लग गया । 

अगले दिन अनुपमा फिर से ऊपर छत पर आई तो अक्षत उसकी एक पेन्टिंग बनाने में व्यस्त था । अनुपमा उसके पास चली गई । अक्षत ने उसे पेन्टिंग में स्कर्ट में दिखाया था । उसकी गोरी गोरी सुडौल टांगें बहुत सुन्दर लग रही थी । अनुपमा उस पेन्टिंग को देखती रही फिर वह बोली 
"तुमने मेरी टांगें तो देखी ही नहीं फिर कैसे बनाई ऐसी सुंदर और मांसल टांगें" ? उसके स्वर में घोर आश्चर्य था । 

अनुपमा के प्रश्न पर अक्षत मुस्कुरा भर दिया, बोला कुछ नहीं । 
"बताओ ना , मैंने कुछ पूछा था आपसे" ? अनुपमा के स्वर में अनुग्रह था । 
"आप नाराज तो नहीं होंगी ना" ? सहमते हुए अक्षत बोला 
"फिर वही पागलों वाली बात ? मैं क्यों नाराज होऊंगी ? अब जल्दी से बताओ" ? अनुपमा उसके गालों पर एक हल्की सी चपत लगाकर बोली 
"सच बात तो ये है भाभी कि हर कलाकार के पास दो आंखें मन की भी होती हैं । बस, उन्हीं मन की आंखों से देखकर ये टांगें बनाई हैं । क्यों, ठीक नहीं बनी हैं क्या" ? अक्षत झिझकते हुए बोला । 
"बहुत अच्छी बनी हैं । हूबहू असली जैसी बनी हैं । अभी से इस उम्र में इतनी सुन्दर पेन्टिंग्स बना लेते हो । बहुत बढिया । एक दिन तुम्हारा बहुत बड़ा नाम होगा पेन्टिंग्स की दुनिया में । अच्छा अब मैं चलती हूं" । और उस दिन भाभी चली गई । 
भाभी से जब भी बात होती थी तब तब अक्षत की जान हलक में आ जाती थी । अनुपमा भाभी पर मुग्ध था अक्षत । वह इंतजार करता था कि अनुपमा भाभी छत पर कब आयेंगी और वह कब उनसे बात करेगा ? 

एक दिन अक्षत ने अनुपमा की नाइटी में तस्वीर बनाई । अनुपमा उसे देखती ही रह गई । 
"क्या मैं इतनी सुन्दर दिखती हूं जितनी कि इस पेन्टिंग में नजर आ रही हूं" ? वह खुश होते हुए बोली 
"आप तो इससे बहुत ज्यादा खूबसूरत हैं भाभी । कहो तो मैं आपका एक पोर्ट्रेट बना दूं" ? अक्षत ने डरते डरते कहा 
"पोर्ट्रेट ? वो क्या होता है" ? 
"फिल्म टाइटैनिक में हीरो ने जो हीरोइन की पेन्टिंग्स बनाई थी, वह पोर्ट्रेट कहलाता है" 
"जहां तक मुझे याद है, वह तस्वीर तो न्यूड थी ना" ? विस्मय से अनुपमा ने पूछा 
"हां भाभी , आप सही कह रही हैं । पोर्ट्रेट तो ऐसे ही बनते हैं" । अक्षत ने अपना चित्रकला के ज्ञान का प्रदर्शन किया । 
"बदमाश कहीं के ? मेरा ऐसा पोर्ट्रेट बनाओगे" ? ऐसा कहकर वह उसे मारने दौड़ी । अक्षत भागकर उससे दूर चला गया । बस फिर क्या था ? दोनों जने पकड़म पकड़ाई खेलने लग गये और पोर्ट्रेट की बात आई गई हो गई । 

एक दिन अक्षत छत पर बैठा था तब अनुपमा ने उससे धीरे से कहा "मेरा पोर्ट्रेट कब बनाओगे" ? 
अक्षत को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि अनुपमा भाभी अपने पोर्ट्रेट की डिमांड करेंगी । उसने तुरंत कहा "अभी बना देता हूं , यदि आप कहें तो" ? 
"कह तो रही हूं , बना दीजिए" । अनुपमा की शर्म से नजरें नीचे झुक गईं थीं । 
"इसके लिए आपको कमरे में आना होगा भाभी और अपने सारे कपड़े निकालने होंगे । फिर कोई अच्छा सा पोज बनाना होगा । बस, थोड़ी देर में आपका पोर्ट्रेट तैयार हो जाएगा" । अक्षत ने अपनी प्रसन्नता को दबाते हुए कहा । 
"फिर ठीक है । अभी ही बना दीजिए मेरा पोर्ट्रेट" । अनुपमा न्यूड पोर्ट्रेट बनवाने को तैयार हो गई । 

श्री हरि 
15.6.23 

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9 Comments

Abhilasha Deshpande

05-Jul-2023 03:16 AM

Best part

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Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:14 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:44 AM

💐💐🙏🙏

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वानी

16-Jun-2023 07:19 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

16-Jun-2023 09:35 AM

🙏🙏

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